Wednesday, March 12, 2025

नामी से नाम बड़ा

गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम अर्जुन था। वह न केवल शारीरिक रूप से ताकतवर था, बल्कि उसकी बुद्धिमानी और कार्यक्षमता के कारण उसे गाँव में बहुत सम्मान मिलता था। लोग उसे हमेशा कहते, "अर्जुन नाम का लड़का तो जैसे अपने काम में माहिर है, वह कभी गलत नहीं हो सकता।" 


अर्जुन का नाम गाँव में सबसे सम्मानित था, और उसका मन भी बहुत अच्छा था। वह किसी भी काम को बिना किसी लालच के करता, चाहे वह किसी की मदद हो या कोई सामाजिक कार्य। उसे यह एहसास था कि उसकी लोकप्रियता और नाम सिर्फ उसकी मेहनत और ईमानदारी के कारण है, और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी।


एक दिन गाँव में एक नया लड़का आया, जिसका नाम वीर था। वीर बहुत ही चुपचाप, शर्मीला और सादा था। वह अर्जुन की तरह दिखने में बहुत आकर्षक नहीं था, लेकिन उसमें कुछ था जो लोगों को आकर्षित करता था। वीर का नाम कहीं नहीं था, और वह हमेशा दूसरों से पीछे ही रहता था।


गाँव के लोग अर्जुन के बारे में ही बातें करते रहते थे, और वीर के बारे में कोई विशेष चर्चा नहीं होती थी। लेकिन एक दिन गाँव में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई। गाँव के पास एक नदी थी, जो लगातार उफान पर थी। यदि नदी का पानी और बढ़ता, तो पूरा गाँव बाढ़ से डूब सकता था। सभी गाँववाले डर के मारे बेचैन हो गए थे, क्योंकि नदी के किनारे पर एक बड़ा पुल था, और अगर वह टूट गया तो गाँव का संपर्क दूसरे गाँवों से कट सकता था।


गाँव के लोग एक उपाय सोच रहे थे, लेकिन कोई हल नहीं मिल रहा था। तभी वीर ने सामने आकर कहा, "मैं नदी के किनारे जाकर देखा हूँ, वहां कुछ बदलाव हो सकते हैं। अगर आप मुझे मौका दें तो मैं कुछ कोशिश करूंगा।"


सब लोग चौंके, क्योंकि वीर का नाम पहले कभी इतना नहीं सुना गया था। लेकिन अर्जुन ने उसका उत्साह बढ़ाया और कहा, "अगर तुम चाहते हो तो हमें तुम्हारी मदद लेने में कोई दिक्कत नहीं है।"


वीर नदी के किनारे गया और उसने बहुत सोच-समझ कर एक योजना बनाई। उसने वहाँ के मलबे को हटाया, और नदी के किनारे को मजबूत किया। इसके बाद उसने गाँववालों को बुलाया और मिलकर काम शुरू किया। वीर ने सभी गाँववालों को एकजुट कर दिया, और धीरे-धीरे उन्होंने मिलकर पुल को और मजबूत किया।


कई घंटों की कड़ी मेहनत के बाद, नदी का पानी थोड़ा घटा और पुल की स्थिति सुधरी। अब गाँववाले सुरक्षित थे, और बाढ़ का खतरा टल गया था।


गाँव के लोग वीर की तरफ देखने लगे। उन्होंने महसूस किया कि वीर ने सिर्फ अपनी मेहनत और सूझबूझ से समस्या का हल निकाला था, न कि किसी बड़ी पहचान या नाम से। अर्जुन ने भी वीर की सराहना की, और कहा, "तुमने वह कर दिखाया जो मैं भी नहीं कर पाया। तुम्हारा नाम अब सभी के दिलों में बस जाएगा, क्योंकि असली नाम वही होता है जो काम से बनता है, न कि केवल प्रसिद्धि से।"


गाँववाले अब जानते थे कि नाम का मतलब सिर्फ प्रसिद्धि नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का असली मूल्य और उसका कार्य है। अर्जुन ने सबको यह सिखाया कि "नामी से नाम बड़ा" होता है, अगर किसी के पास सही दिल, मेहनत और समर्पण हो। वीर का नाम अब सबकी ज़ुबान पर था, और वह एक सच्चे नायक के रूप में गाँव में सम्मानित हुआ।


कहानी का संदेश: प्रसिद्धि और नाम से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है किसी व्यक्ति का वास्तविक मूल्य, उसकी मेहनत, ईमानदारी, और समाज के लिए किए गए अच्छे कार्य।

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