एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा रहता था, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन का दिल बहुत साफ और मासूम था, लेकिन वह बहुत ही दुखी था। उसका एक सपना था – वह भगवान से मिलना चाहता था। लेकिन, उसे यह समझ में नहीं आता था कि भगवान से कैसे मिलेगा। वह अक्सर अपनी माँ से पूछता, "माँ, भगवान कहां रहते हैं? क्या वह मुझे देख सकते हैं?"
माँ उसे हंसते हुए जवाब देती, "बिलकुल बेटा, भगवान हर जगह हैं। वह हमारे दिलों में रहते हैं।" लेकिन अर्जुन का दिल इन साधारण शब्दों से संतुष्ट नहीं होता था। वह चाहता था कि वह भगवान से साक्षात मिले।
एक दिन, अर्जुन जंगल में घूमने गया। उसका मन दुखी था, और वह भगवान को खोजने की उम्मीद में था। चलते-चलते वह एक विशाल बरगद के पेड़ के पास पहुंचा। वहाँ उसने देखा कि एक बुढ़ा आदमी एक हाथी की पीठ पर बैठा था और वह हाथी उसके साथ धीरे-धीरे चलता जा रहा था।
अर्जुन ने बुढ़िया से पूछा, "दादा, ये हाथी कहाँ जा रहे हैं?"
बुढ़िया हंसते हुए बोले, "यह हाथी भगवान का वाहन है। इस हाथी की पीठ पर भगवान खुद बैठे होते हैं।"
अर्जुन को यह सुनकर बहुत अचरज हुआ और उसने और करीब जाकर हाथी को देखा। हाथी की आँखों में एक अजीब सी शांति थी, जैसे वह भगवान की कृपा से भरा हुआ था।
"क्या तुम सचमुच भगवान हो?" अर्जुन ने डरते हुए पूछा।
हाथी ने अपनी लंबी सूंड से अर्जुन की ओर इशारा किया और धीरे से अपने कान हिलाए। अर्जुन को लगा जैसे हाथी ने जवाब दिया हो। वह समझ गया कि वह सचमुच भगवान के दर्शन कर चुका था।
अर्जुन ने उस दिन सीखा कि भगवान हमेशा हमारे पास होते हैं, चाहे वह किसी हाथी की आँखों में हो या हमारे दिल में। भगवान की उपस्थिति किसी रूप में भी हो सकती है – वह हमें हमारे मार्गदर्शन के लिए हर पल मिलते रहते हैं, अगर हम अपने दिल से उन्हें महसूस करने की कोशिश करें।
वह दिन अर्जुन के जीवन का सबसे यादगार दिन बन गया। अब उसे कभी भी भगवान से मिलने की चिंता नहीं रही। उसे यह समझ आ गया था कि भगवान हमारे भीतर होते हैं, और हमें उनकी उपस्थिति केवल अपनी दृष्टि और अपने दिल से महसूस करनी होती है।
अर्जुन का दिल हमेशा भगवान के प्रेम से भरा रहा, और वह जानता था कि भगवान कभी भी उसके साथ हैं, हर कदम पर, हर पल में।
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