Thursday, March 13, 2025

गणेश चतुर्थी की कहानी

गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है, उनके बारे में कई कथाएँ प्रचलित हैं। इन कथाओं में से एक प्रमुख कहानी भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी है, जिसे हम आज भी बड़े श्रद्धा भाव से सुनते हैं।

भगवान गणेश का जन्म

यह कहानी भगवान गणेश के जन्म की है, जब पार्वती माता अपने स्नान के दौरान अकेली थीं। एक दिन, माता पार्वती ने सोचा कि उन्हें एक ऐसा पुत्र चाहिए जो उनके घर की रक्षा करे और उनके पास न आने वाले लोगों से दूर रहे। तभी उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक लड़के का रूप बनाया और उसे जीवित कर दिया। उस लड़के का नाम गणेश रखा गया।

माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिया कि वह घर की सुरक्षा करें और किसी को भी अंदर न आने दें। गणेश ने माता के आदेश का पालन करते हुए घर के बाहर पहरा देना शुरू किया। उसी दौरान भगवान शिव, जो माता पार्वती के पति थे, घर लौटे। गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया, क्योंकि वह उन्हें पहचान नहीं पा रहे थे। शिवजी और गणेश के बीच युद्ध हुआ, और अंत में भगवान शिव ने गुस्से में आकर गणेश का सिर काट दिया। 

जब माता पार्वती को यह पता चला, तो वह बहुत दुखी हुईं और भगवान शिव से गणेश को पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने माता पार्वती का दिल रखते हुए गणेश को जीवनदान दिया, लेकिन उनके सिर को फिर से जोड़ने के लिए एक नए सिर की आवश्यकता थी। भगवान शिव ने आदेश दिया कि जंगल से किसी भी प्राणी का सिर लाया जाए, और वहाँ एक हाथी का सिर लाकर गणेश के शरीर पर लगा दिया। इस प्रकार, भगवान गणेश का नया रूप और हाथी जैसा सिर बना।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के पुनर्जीवित होने और उनके स्वागत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में गणेश की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं, उन्हें सजाते हैं और 10 दिनों तक श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं। इस दौरान विशेष रूप से मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जो भगवान गणेश का प्रिय भोजन माना जाता है। 

गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष रूप से विघ्नों के निवारण और समृद्धि की कामना का प्रतीक होता है। लोग अपने घरों में गणेशजी की पूजा करके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति की कामना करते हैं। 

आखिरकार, गणेश चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है, जब भगवान गणेश की मूर्तियों को श्रद्धा पूर्वक विसर्जित किया जाता है। इस दिन लोग यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान गणेश अगले वर्ष फिर से लौटकर उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि लाएँ। 

गणेश चतुर्थी की यह कहानी न केवल भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और विघ्नों को भगवान गणेश के आशीर्वाद से दूर किया जा सकता है।

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