Tuesday, March 18, 2025

शबरी की कथा

बहुत समय पहले की बात है, जब श्रीराम ने पृथ्वी पर आकर राक्षसों का नाश करने का संकल्प लिया था, तब एक छोटे से वन में एक तपस्विनी महिला रहती थी – शबरी। उसका जीवन साधना और तप में बसा हुआ था। उसका नाम सभी जगह गूंजता था, लेकिन वह कोई साधारण महिला नहीं थी, बल्कि वह एक अत्यंत सरल, सच्ची और भक्ति में रमी हुई स्त्री थी।

शबरी का जन्म एक शूद्र परिवार में हुआ था, और उसका जीवन बहुत ही कठिनाइयों से भरा था। वह पहले जंगल में अपने परिवार के साथ रहती थी, लेकिन किस्मत ने उसे अकेला छोड़ दिया। अपने जीवन में अकेली और निराश शबरी ने सोचा कि भटकते हुए मनुष्य को सही रास्ता दिखाना चाहिए, इसलिए वह तपस्या करने के लिए गहरे जंगल में चली गई। 

वह दिन-रात भगवान की भक्ति में डूबी रहती, लेकिन वह हमेशा एक बात को लेकर चिंतित रहती – वह भगवान के दर्शन नहीं कर पाई थी। उसकी मेहनत और तपस्या के बावजूद उसे अपने ईश्वर का साक्षात्कार नहीं हुआ था। लेकिन उसने कभी भी अपने विश्वास को खोने नहीं दिया। वह हर दिन अपनी भक्ति को और भी सशक्त बनाती और भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए प्रार्थना करती।

एक दिन, भगवान श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण का वनवास हुआ। वे चलते-चलते शबरी के वन में पहुंचे। शबरी ने देखा कि भगवान राम उसके पास आए हैं, और वह खुशी से झूम उठी। लेकिन शबरी ने भगवान राम को अपनी झोंपड़ी में कुछ मीठे बेर दिए, जो उसने पहले ही चखा था, ताकि भगवान को मीठे बेर मिलें। 

शबरी का यह कृत्य शायद किसी और के लिए अजीब होता, लेकिन भगवान श्रीराम के लिए यह सब कुछ था। उन्होंने बेर को बिना किसी संकोच के खाया और शबरी की भक्ति और प्रेम को सराहा। श्रीराम ने देखा कि शबरी का दिल कितनी शुद्धता से भरा हुआ था। उसने सोचा, "यह बेर जो शबरी ने चखा है, वह मेरे लिए उसकी शुद्ध और निस्वार्थ भक्ति का प्रतीक है।"

शबरी ने भगवान श्रीराम के साथ समय बिताया, और श्रीराम ने उसकी कठिनाइयों को और उसके जीवन के संघर्षों को महसूस किया। यह एक ऐसा पल था जब शबरी का जीवन वास्तविक रूप में सार्थक हुआ, क्योंकि भगवान ने उसे अपनी भक्ति का प्रतिफल दिया था।

भाव 

शबरी की कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान के लिए उच्च जाति, धन या स्थिति मायने नहीं रखते। वह हमारे दिल की सच्चाई और भक्ति को देखते हैं। शबरी ने अपने जीवन के कष्टों को भुला कर भगवान के प्रति निष्ठा और प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत किया। उसकी सादगी, उसकी शुद्ध भक्ति और उसकी कड़ी मेहनत को भगवान ने स्वीकार किया, जो यह दर्शाता है कि सच्ची भक्ति का कोई भेदभाव नहीं होता। 

आज भी शबरी की कथा हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, लेकिन अगर हमारी नीयत और विश्वास सच्चे हैं, तो भगवान हमारी भक्ति को स्वीकार करते हैं। यही है शबरी की जीवन यात्रा का सबसे बड़ा संदेश: सच्ची भक्ति और प्रेम से भगवान तक पहुंचना संभव है, चाहे हम किसी भी स्थिति में हों।

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